धनाक्षरी
शान ,मान ,बान बेटी ,
सब लोगों की आन बेटी ,
हर स्थान पर बेटी का ,
आदर होना चाहिए ।
धर भी देखें बेटी ,
वंश भी बढ़ाए बेटी ,
बेटियों का सारा ,
जहान होना चाहिए ।।
दुःखों को भुलाए बेटी ,
खुशियों को बुलाए बेटी ,
बेटियों के होठों पर ,
मुस्कान होनी चाहिए ।
हर गम सहे बेटी ,
आह नहीं भरे बेटी ,
बेटियों का जग में ,
नाम होना चाहिए ।।