वह अकेले बिताए हुए पल,
सिर्फ बाइक में घूमना,
महंगे महंगे कॉफी शॉप में जाना,,,,,
बस यही बाहरी दिखावा में गुमराह हो गये।
इंसान को परखने की उम्र नहीं थी,
तब दिल दे दिया बिना सोचे समझे,
पर सच्चाई कुछ और थी।
जब शादी की तब जाना,
न रहने के लिए छत,
न खाने को पैसा,
लड़की को वस्तु समझकर दिल दिया।
जब उनका जी भर गया तो बेच दिया।
इंसान के नाम पर भेडिया है।
ना इंसान की कींमत,
ना उनके जज्बातों की फिक्र
और ना ही औरतों के सम्मान की कद्र।
ऐसे ही लड़कों ने समाज को दूषित किया है।
जाग जाओ लड़कियों जाग जाओ
वरना यह भेड़िया हमें कच्चा चबा जाएगा ।
और हमारी झोली में पछतावे के आंसू के सिवा कुछ नहीं होगा।