शुभ संध्यावंदन(रविवारइतवारऔरसंडे)सूर्यदेव भगवान आपको ब्रह्मदत्त
___ त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है।
सूर्य मंत्र से ऐश्वर्य वृद्धि
जय सूर्य देवाय नमः
ब्रह्मदत्त
जय सूर्य देवाय नमः
ब्रह्मदत्त
1. इस साधना में रविवार का व्रत
अनिवार्य है।
2. व्रत के दिन भोजन में नमक का
उपयोग न करें।
3. रविवार के दिन खुले आकाश के
नीचे पूर्व की ओर मुँह करके शुद्ध ऊन
के आसन या कुशासन पर बैठकर काले
तिल, जौ, गूगल, कपूर और घी मिला
हुआ शाकल तैयार करके आम की
लकड़ियों से अग्नि को प्रदीप्त कर उक्त
मंत्र से एक सौ आठ आहुतियाँ दें।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए,
दुःख-दारिद्रय को दूर करने के लिए,
रोग व दोष के शमन के लिए
इस प्रभावकारी मंत्र की साधना रविवार
के दिन करनी चाहिए।
तत्पश्चात सिद्धासन लगाकर इसी मंत्र का
सौ बार जप करें।
जप करते समय दोनों भौंहों के मध्य
भाग में भगवान सूर्य का ध्यान करते रहें।
इस तरह ग्यारह दिन तक करने से यह
मंत्र सिद्ध हो जाता है।
इसके बाद प्रतिदिन स्नान के बाद
ताम्र-पात्र में जल भरकर इसी मंत्र से सूर्य
को अर्घ्य दें।
जप करते समय दोनों भौंहों के मध्य
भाग में भगवान सूर्य का ध्यान करते रहें।
इस तरह ग्यारह दिन तक करने से यह
मंत्र सिद्ध हो जाता है।
इसके बाद प्रतिदिन स्नान के बाद
ताम्र-पात्र में जल भरकर इसी मंत्र से सूर्य
को अर्घ्य दें।
जमीन पर जल न गिरे इसलिए नीचे
दूसरा ताम्र-पात्र रखें।
तत्पश्चात इस मंत्र का एक सौ आठ बार
जप करें।
मात्र इतना करने से आयुष्य, आरोग्य,
ऐश्वर्य और कीर्ति की उत्तरोत्तर वृद्धि
होती है।
ब्रह्मदत्त