इसिहास में पढ़ा था सिनेमा में देखा था । कुछ डॉक्यूमेंट्री भी देखा था। जब देश बट रहा था कैसे लोग पलायन कर रहे थे। भूखे पियासे नंगे पांव फटे कपड़े कैसे लोग चले जा रहे थे । माईयलो की दूरी तय कर रहे थे।
आज भी देख रहा हूं । बस इतिहास के पन्नों के जगह अख़बार पढ़ लेता हूं। सिनेमा की जगह न्यूज चैनल देख लेता हूं। और डॉक्यूमेंट्री भी कहीं बन ही रहा होगा खेर वह भी देख लूंगा। वजह कुछ भी हो। इतिहास की झलकियां आज फिर भी देख रहा हूं।