(01) "कल्पना की देवी"
कल्पना की देवी
हे माँ सरस्वती भवानी
करता हूँ मै तेरी अगवानी
नही मुझे अभिशाप चाहिए
नही मुझे संताप चाहिए
दे दो मुझको तुम शांति
कर दे दूर उलझन,दर्द,भ्रांति
रहे नही मन तनिक बेचैन
करुणा,स्नेह बरसते रहें नैन,
कल्पना की देवी
हे माँ सरस्वती भवानी
करता हूँ मै तेरी अगवानी
मन मंदिर में करो निवास
पपित्र करो पूरा आकाश
अक्षर का तुम ज्ञान कराओ
शब्दों का भंडार दिखाओ
सांसों में सुर गीत सजाओ
प्राणों को संगीत सुनाओ,
कल्पना की देवी
हे माँ सरस्वती भवानी
करता हूँ मै तेरी अगवानी
क्रोध का अक्रोध से करो अंत
बन जाऊं मै एक आदर्श संत
तुन्ही हो भव तुन्ही हो निर्माण
तन भी मन भी तुन्ही में प्राण
तुन्ही संभावना तुम्ही अनुमान
तुम्ही स्मृति,विस्मृति का स्थान
रचनाकार-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'