Hindi Quote in Religious by Sunil N Shah

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#द्वेष

द्वेष कलेश की मोहमायाने कुछ हमको ऐसे गेरा
था इंसानियत छीन गई हर आदमी अकेला था ।

दिखाई दे नहीं रहा था अब कही कूच स्वार्थकी
परछाई ने हमें पल में अंधेरे पन में धकेला था l
प्रतिस्पर्धा ऐसी हुई अपने अपनों के बीचमें अब
रिश्तो की यह भीड़ में हर आदमी अकेला था ।

द्वेष कलेश की मोहमायाने कुछ हमको ऐसे गेरा
था इंसानियत छीन गई हर आदमी अकेला था ।

अब जमीन पर सकून नहीं चांदपर रहने का सोच रहा था विज्ञान और टेक्नोलॉजी नए आविष्कार
से बातचीत करते कुछअपनों सेही दूर हो रहा था
प्रदूषण के जहर को हर रोज स्वास में ले रहा था

द्वेष कलेश की मोह मायाने कुछ हमको ऐसे गेरा था इंसानियत छीन गई हर आदमी अकेला था ।

नारी का सम्मान करना ही वह मानो भुल गया
कई नन्ही बच्ची ओको कोख में सुला रहा था तो
कभी निर्वस्त्र करके सरेआम हरोज जला रहा था
सोच नहींथी इतनी भी नारी सेही हमारा उद्भव है

द्वेष कलेश की मोह मायाने कुछ हमको ऐसे गेरा था इंसानियत छीन गई हर आदमी अकेला था ।

यह देख कर ईश्वर की भी आज आंखभर आई है
मंदिर मस्जिद गिरजाघर आज बंद है चारों तरफ छोटे से वायरस ने मचाई तन्हाई है परमात्मा भी आजखुश नहीं इंसान सबसे बड़ाधर्म इंसानियत
क्यों दूर हो रहा है ? खाने के लिए क्या काम था निर्दोष पशु पंखी को खा रहा है ? अभी तो मैंने आंखें मिची फिरभी इतनी क्यों तन्हाई है ? सुधर जाओ तो सब जिओगे नहींतो मरना मुमकिन है

द्वेष कलेश की मोह मायाने कुछ हमको ऐसे गेरा था इंसानियत छीन गई हर आदमी अकेला था ।

Hindi Religious by Sunil N Shah : 111427534
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