कर्मण्ये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन्।
मा कर्मफलहेतुभूऀमा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।।
भावार्थ--भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि कर्मफल की इच्छा किये बिना हम कर्त्तव्य का पालन करे (फल देने का अधिकार सिर्फ ईश्वर को है)और कर्म न करने की प्रवृत्ति भी नहीं होनी चाहिए .
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