#कभी_अलविदा_न_कहना (सम्पूर्ण उपन्यास)
प्रिय साथियों! मातृभारती पर मेरा प्रथम लघु उपन्यास 'कभी अलविदा न कहना' किश्तवार प्रकाशित हो चुका है। हाल ही में इसकी अंतिम कड़ी प्रकाशित हुई है।
यह उपन्यास मुख्यतः प्रेम के धरातल पर लिखा गया है। जिंदगी के विभिन्न सोपान पर दोस्ती और प्रेम के अलग अलग रंग... परिवार के सदस्यों में स्नेह, अपनत्व और ईर्ष्या के विभिन्न पहलू उजागर करने के साथ बदलते परिवेश में लड़कियों की शिक्षा और संस्कार में बदलाव, एक ही परिवार की दो बेटियों में स्वभावगत असमानता के साथ उनकी जिंदगी के उतार चढ़ाव का, शिक्षा दीक्षा का प्रभाव भी दर्शाने का प्रयास किया है। साथ में रह रही तीन सहेलियों की समानांतर प्रेमकहानी के माध्यम से प्रेम के अलग अलग स्वरूप और प्रेम में पड़ती युवा पीढ़ी के विचार प्रस्तुत किए हैं। उपन्यास में ट्विस्ट और टर्न्स भी हैं, और जिंदगी के कई रंग भी... मानवीय विचारों, सम्वेदनाओं और परिस्थितियों का सूक्ष्म विश्लेषण करती हुई कहानी लिखने में मैं कितनी सफल हुई, यह आप सभी साथियों की प्रतिक्रियाओं से जानने की अपेक्षा रहेगी... कई मोड़ों से गुजरती हुई कहानी के अंत में नायक द्वारा प्रेम का इजहार होता है अथवा नहीं...? यह जानने के लिए पढ़िए यह उपन्यास #कभी_अलविदा_न_कहना .... इस लिंक पर....!
कल से नया सफर शुरू हो चुका है। एक नया साझा उपन्यास मातृभारती पर प्रकाशित हो रहा है... #देह_की_दहलीज_पर सफर में साथ बने रहिए.…. सादर...🙏🙏
Dr. Vandana Gupta लिखित उपन्यास "कभी अलविदा न कहना" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/novels/14528/kabhi-alvida-naa-kehna-by-dr-vandana-gupta