तुम वर्दी में गए थे
वापस तिरंगे में आए हो..!
तुम मुस्कुरा ते हुए गए थे
वापस इतने आंसू
क्यों लेके आए हो..?
तुम सिपाही थे सिपाही हो
पर इस बार दुश्मनों को ढेर
करके सहिद हो के आए हो..!
तुम जब भी आते घर मिठाई
के डिब्बे लेके आते थे,
मगर इस बार तिरंगे से लिपटे
ताबूत में आए हो...!
तुम पहले तो इतने नाराज
ना हुए हो कभी,
पर इस बार क्यों इतने
नाराज होके आए हो...?
✍️किरण