बालेन्दु जी का ये प्रथम उपन्यास है और इसे पढ़ते समय कम से कम मुझे तो नहीं लगा कि ये किसी का प्रथम उपन्यास हो सकता है। व्यंग्य से सराबोर पुस्तक मदारीपुर के बहाने देश की राजनीति की पड़ताल करती है और आज के झूठे बाबाओं से लेकर चुनावी हथकंडों को नंगा कर देती है। यदि न पढ़ी हो पढ़कर देखिए। कुछ-कुछ रागदरबारी जैसा उपन्यास आपको एक अलग ही अनुभव देगा। प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर जी भी इसकी प्रशंसा करते हैं तो स्पष्ट है कि इसमें कुछ तो है।