#महसूस
उंगली पकड़ के तूने चलना सिखाया
उन्हीं हाथों से डोली में रुक्सत किया।
कुदरत के नियम से मजबूर हुआ,
जिगर के टुकड़े का कन्यादान किया।
कैसे मैं भूलाउ अपना बचपन?
कैसे मैं बसाऊ नई दुनिया?
तूने भी तो डर महसुस किया होगा,मेरी जुदाई का,
बाबा मैं तेरी मलिका, टुकड़ा मैं तेरे दिल का।
पास बुला ले ना,हाथ पकड़ ले ना।
Mahek parwani