🍀🍀मैं और मेरी पत्नी🍀🍀
हम दो जन.......
भतीजे की शादी
बारात की खूबसूरत रंगीनियां
मंडप के ऊपर टिमटिमाते तारे
मंडप बीच कोई निहारते
तो कोई टहल रहे थे
भीड़ से अलग हम दो जन
दूल्हे संग आये थे
हम घूमे जा रहे थे
मंडप के कछारों में
डूबे जा रहे थे
मंडप की दूधिया रौशनी में
खेल रही थी ऑंखें
ख़ूबसूरती की बाहों में
हम दो जन.......
हम चल रहे थे
किसी बातों में खोए हुए
अचानक पांव ठिठके
कैमरे को सामने करके
कोई प्रकट हुआ था
हम दोनो सम्हल पाते
अचानक चकाचौंध कर देने वाली
दूर तक फैली एक रोशनी
चौंधियां गईं थीं आँखें
कैद हो गई थी हम दोनों की सूरत
हम देख कर हैरान
हम दो जन........
सामने फैली लाल पीली चुनरी
अंदर झपकीं लेतीं मोटी पलकें
वह रात्रि जैसे भोर का सरगम
बारातियों की निगाहें चर रहीं थीं
शादी के शामियाने की खूबसूरती
बिवाह बेदी के पास बैठा था
वो भी बैठी थी मुझसे कुछ दूर
थोड़ी देर में दोनों के मोबाईल के
बज उठे सायरन
सरकीं जब दोनों की अगुलियां
खूबसूरत चित्रों को देख
मोबाइलों के चेहरे भी
खुलकर मुस्कराने लगे थे।
हम दो जन.......
रचयिता-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'