ओ....रामासरे की दुल्हिन तनिक दरवाजा तो खोलो।।
मनकी काकी ने फुलमत के दरवाज़े की सांकल खटखटाते हुए कहा।।
का..हुआ काकी!का बात हो गई जो तुम इत्ती परेशान दिखाई दे रही हो,फुलमत ने मनकी काकी से पूछा।।
अब का बताएं, फुलमत बहुरिया! बात ही कुछ ऐसी थी कि बताएं बिना रहा ना गया और हम तुम्हारे पास भागे चले आए।।
काहे,काकी!ऐसा का हो गया,फुलमत ने फिर से पूछा।।
अरे,ऊ..किशन की दुल्हिन रही ना,रामप्यारी! कल रात बेचारी ने प्राण त्याग दिए,राम ऐसा दिन कोहू को ना दिखाएं,मनकी काकी दुःखी होकर बोली।।
हां,सही कह रही हो काकी!,फुलमत बोली।।
अबहीं, पिछले साल ही तो लगन हुआ था बेचारी का,उसका पति किशन दुनियाभर मे गाता फिरे कि हमार जैसन लुगाई कोऊ का ना होई,कनक जैसी सफेद हैं, हाथ लगाओ तो मैली हो जाए,फिर एक दिन ना जाने का हुआ,बेचारी रामप्यारी चूल्हें पे खाना पका रही थीं, एकाएक पल्लू ने आग पकड़ ली,बेचारी का पूरा चेहरा जल गया,फिर किशन ने उसकी ओर देखना ही बंद कर दिया और कल वो दूसरा ब्याह कर लाया,बेचारी रामप्यारी दिनभर रोई और रातभर किशन के दरवाजे के आगे रोती रही,ठंड का मौसम,ठंड ना बरदाश्त कर सकी और रात ही उसकी अकाल मृत्यु हो गई, शायद उसकी यही नियति थी,इतना कहते कहते मनकी काकी की आंखें भर आईं।।
सरोज वर्मा__
#नियति