** आज की प्रतियोगिता **
# विषय .# बनावट **
** छंदमुक्त कविता **
अजब तेरी बनावट सरताज ।
अजब तेरी कारीगरी सरताज ।।
प्रकृति को तुने सुदंर बनाया ।
भाँति भाँति के फूल खिलायें ।।
अलग अलग रंगों से सजाया ।
तेरा कोई सानी नहीं सरताज ।।
अलग अलग के मानव बनाये ।
भाँति भाँति के मुखड़े सजाये ।।
अलग अलग स्वभाव बनाये ।
तेरी कृति बडी अनमोल सरताज ।।
चित्र विचित्र के प्राणी बनाये ।
सबमें अलग अलग हुनर सजाये ।।
कोई चित्रकार भी नहीं बना पाये ।
ऐसा विचित्र तेरा संसार सरताज ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।