जै श्री कृष्ण
मन कर दिया तेरे हवाले,मनमोहन मुरलिया वाले।
घर कोठी कुटुम्ब और द्वारे,सब तेरी कृपा से सँवारे।
सब के तुम ही बने रखवारे, मन मोहन मुरलिया वाले।
डोरी जब से है तुम से लगाई, जग की कोई न विपदा सताई।
तूने हर पल दिये है सहारे, मन मोहन मुरलिया वाले।
तेरी धरती पे जब आ गई मैं, उस छण सुख को कैसे कहुँ मैं।
गाथा गाने में वाणी भी हारे,मन मोहन मुरलिया वाले।प्रतिजन पर दया कर दो भगवन,मन की दुख दुविधा हरो तुम।
मन कुटिल फिर भी बालक तुम्हारे,मन मोहन मुरलिया वाले।
सुमन काटों में फिर भी खिली है,तेरी मर्जी से भक्ती मिली है।
अब न करना कभी तुम किनारे,मन मोहन मुरलिया वाले।