सूखा
उस एक नूर के हटते ही,ये जीवन सूखा लगने लगा।
जिमि मेघों के बिन बरसे से,हर तिनका सूखा लगने लगा।
जैसे जल हीन मीन सूखी,जिमि वारि बिना सूखी नदियाँ।
ऐसे ही सुमन कली सूखी,माली बिन सूख गई कलियाँ।
अब परमेश्वर की कृपा बिना,सब लगता है सूखा-सूखा।
प्रभु हरा-भरा सब कर देगा,कितना भी हो रुखा-सूखा