Hindi Quote in Religious by ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

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(भगवान श्री राम बजरंगबली हनुमान जी को बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है आज मंगलवार है )
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़: ❕हनुमानजी❕
❕पूजन समाग्री❕
❗ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़❗
(मगलवार जय श्री राम जय बजरंगबली हनुमानजी)
❕हनुमानजी की
पूजा विधि❕
❕हनुमानजी की
आरती❕
(हनुमान जी की पूजन सामग्री) ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़: -
हनुमान पूजन सामग्री
लाल कपडा/लंगोट
जल कलश
पंचामृत
कंकु
जनेऊ
गंगाजल
सिन्दूर
चांदी/सोने का वर्क
लाल फूल और माला
इत्र
भुने चने
बनारसी पान का बीड़ा
नारियल
केले
सरसो का तेल
चमेली का तेल
तुलसी पत्र
दीपक
धूप, अगरबत्ती
कपूर
(हनुमान जी की पूजन (पूजा) विधि:-)
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़:
हनुमान जी की पूजन (पूजा) विधि:-
हनुमान जी की मूर्ति ओर मुंह करके लाल
आसन पर बैठे. १ घी का और १ सरसो
के तेल का दीपक जलाये अगरबत्ती और
धूपबत्ती जलाये हाथ में चावल व फूल
लेकर हनुमानजी का ध्यान और आवाहन
करे अब सिंदूर मैं चमेली का तेल मिलाकर
मूर्ति पर लेप करे पाँव से शुरू करकर सर
तक चांदी या सोने का वर्क मूर्ति पर लगाए
अब हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाये
इत्र छिड़के हनुमानजी के सर पर कंकु
का टिका लगाए लाल गुलाब और माला
हनुमान जी को चढ़ाये भुने चने और गुड़
का नैवेद्य लगाए नैवेद्य पर तुलसी पत्र
रखे केले चढ़ाये हनुमान जी को बनारसी
पान का बीड़ा अर्पित करे ११ बार हनुमान
चालीसा का पाठ करे अंत मैं हनुमान जी
की आरती करे
हन्मान पूजा के बाद अज्ञानतावश पूजा में
कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए
भगवान हनुमान के सामने हाथ जोड़कर
निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए क्षमा
याचना करे।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं ।
यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण त्दस्त्वमेव |
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जन ।
पूजा चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरं ।
है
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(हनुमान बजरंगबली जी की आरती)
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़:-
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ||
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ।।
आरती किजे हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे |
रोग दोष जाके निकट ना झाँके ।
अंजनी पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये |
लंका जाये सिया सुधी लाये ।।
लंका सी कोट संमदर सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे ।
आनि संजिवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जम कारे।
अहिरावन की भुजा उखारे ॥
बायें भुजा असुर दल मारे ।
दाहीने भुजा सब संत जन उबारे ।
सुर नर मुनि जन आरती उतारे |
जै जै जै हनुमान उचारे ।।
कचन थाल कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजनी माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गाये |
बसहिं बैकुंठ परम पद पायै ।।
लंका विध्वंश किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई ॥
आरती किजे हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

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