ऐकता
ऐकता मे हे सभी के रंग तभी तो
रहते मिल जुलके हम ।
हिंदु, मुसलीम, शीख, ईसाई
यहा तो हे सब भाई भाई मिल कर रहते है हम सब ।
ईसी लीए तो हे ऐकता के रंग हम ।
चाहे बोली भिन्न हमारी चाहे भिन्न हो वेश हमारा।
दिल हमारा एक हे प्यार हमार अंतरग,, ।
ऐकता मे हे सभी रंग तभी तो रहते मिल जुल के हम..
चाहे हम अमीर हो चाहे हम गरीब,
स्नेह से भर दे सबको ।सबको प्यारे हे हम
ऐकता से बने हम,एकता मे ही हे सभी के रंग
तभी तो रहते मिल जुलके हम ।
bhagvati