आरजुओं की कुछ ऐसी दस्तक महफिले गुलसन हुई
बातों में ताजगी आ गई
रोनके आँखों में छा गई
उल्फतों से दूर कही वो जीना सीख गई
-Shweta
जंजीरें शब्दो की वो पीछे छोड़ गई
अपनी मुस्कान को खुद पर सजा कर मानो वो खिल गई
सावली-सलोनी वो खूबसूरती का रंग भर गई
शायरों की शायरी सी मानो मुझ पर चढ़ गई