#जिज्ञासु
हर जीव में बसी जिज्ञासा ,
गाती हे बस नव निर्माण की गाथा ।
निर्दोष बचपन हे दोष विकारो से मुक्त ,
बस जाने अपने मन की परिभाषा ।
चलते जाय नन्हे पैर ,
ना पहचाने अपने, ना गैर ।
मासुम से कदम पे , रखे नज़र कृष्णा ,
बनकर साया अर्जुन का ।
Mahek Parwani