बड़ी बेताबी थी इश्क़ करने की
सुना था धरती में ही जन्नत का सुख नसीब हो जाता है
इसी की जिज्ञासु होकर इश्क़ तो फरमा लिया पर जन्नत का तो पता नहीं ज़िन्दगी जहनुम्म लगने लगी है।
#जिज्ञासु

Hindi Poem by Singh Srishti : 111411300

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now