परिंदे सोच में है
आज आसमान इतना खुशनुमा क्यों है
आज आसमान की सुर्खियां बदली बदली सी क्यों है
आज इतने सारे पंछी चिरंचिर करके खुश क्यों है
आज प्राकृतिक सौदर्य खिला खिला क्यों है
जैसे आज कुदरत अपना करिश्मा दिखाके नवपल्लित कर रहा है अपनी बनाई रचना को....