सम्बधित
हम उससे ही सम्बधित हैं,जो पूरा विश्व नचाता हैं।
उसकी ही एक तुच्छ कृति हूँ,जो मन में उसे बसाता है। जल से जीवन सम्बधित है,जल पर दुनिया अवलम्बित है।
जल-प्रकृति-जीव-जड़-चेतनभी,उस ईश्वर से सम्बधित है।
यदि कोई अंग क्षीण होता,तो पीडा़ तन को होती है।
इसलिये सभी सामान्य रहें,मानव नित इनको दुहती है।
जग में जितने रिश्ते-नाते,पशु-पक्षी-नर में व्यापक हैं।
यह सभी देन ही प्रभु की हैं,सब उससे ही सम्बधित हैं।