देखा था जब कोई और समझ कर
जाना जब तुम कौन हो।
सोचा न था तुम मिलोगे कभी
जब मिले भी तो तुम मौन हो।।
तुम वो निकले जो चाह मेरी थी
पर तुमने राह बदल ली है।
देर हो गयी हमको मिलने में
तुमने मंजिल पकड़ ली है।।
वही नूर वही रंग तेरा
जो सपनों का राजकुँवर मेरा।
अब और नगर का वासी तू
कहीं और होगा शहर मेरा।।