आज की प्रतियोगिता ।
विषय .# आश्चर्य ।
*कविता *
आजकल प्रकृति विचित्र कारनामें करनें लगी ।
मानो मानव से अब रुष्ट सी होने लगी ।।
कहीं भूकंप के झटके आने लगें ।
कहीं धरती अपने आप हिलने लगी ।।
कही भूस्खलन होने भी लगे ।
कहीं जंगलों में अचानक आग लगने लगी ।।
कही जानलेवा बिमारियाँ होने लगी ।
कहीं वायुप्रदुषण बढ़ने लगा ।।
कही जल प्रलय होने लगा ।
कही उल्कापिंड के नजारें दिखाने लगी ।।
प्रकृति मानो भक्षण सी होने लगी ।
दिलों में भय पैदा करने लगी ।।
आकाश में विचित्र नजारें दिखाने लगी ।
प्रकृति अब अपना क्रोध जताने लगी ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,अमदाबाद ।