कभी फुर्सत मिले तो एक बात सोचना जब आंखोमे आंसू आयेतों उन्हें पोछते हुए मेरे हाथ सोचना जब तन्हाई सताए,अंधेरे से डर लगे तो मेरी बाहोमे बिता हर पल सोचना और आखरी मुलाकात में तो अपनेही गुरूर में थी तुम आखरी मुलाकात में अपनेहि गुरूर में थी तुम सोचना ही है तो वो पहेली मुलाकात सोचना.. हमारी अधूरी कहानी...