वाह रे ! कोरोना तूने क्या रंग दिखाया है।
ना कोई आगे , ना कोई पीछे, ना कोई अमीर ,ना कोई गरीब!
ना कोई मंदिर ,ना कोई मस्जिद, सबको समय की सब्लता को सिखाया है,!
वाह रे ,!कोरोना तूने क्या रंग दिखाया है।
प्रकृति ने सबको शक्तिशाली बनाया है!
क्या कोई शेर , क्या कोई चींटी!
प्रकृति को छेड़ने का क्या हश्र दिखाया है!
आज छोटा सा सूक्ष्मजीव सब पर कहर बरसाया है!
वाह रे करो ना तूने क्या रंग दिखाया है!
चाहे हो धन पाने की होड़ा- होड़ी!
चाहे हो मांस मदिरा की पिपासा!
क्या है पिज़्ज़ा , क्या है बर्गर!
सबको तूने क्या "। " लगाया है!
वाह रे को रोना तूने क्या रंग दिखाया!