तुक को देख के बहाहू ,में एक नया शाया हूं ,
हूबहू न कई फरेब है;सिर्फ तुमको आंखों बसाया हूं।
यू मत घभराओ ,तुम पैड में उसकी छाया हु ,
बसेरा करोगे तो जानोगे, तुम लहर में उसकी हवा हूं ।
घनघोर हो के क्यों नही बरसती ? तुम बारिस में बूंदे हूं ।
चमक से भर दो आभको ,तुम बिजली में छिपा घोघाट हूं ।
फैला दो खुश्बू जहाँ पर ,तुम फूल में एक पता हूं ।
आत्माकी सुनो आवाज ,तुम झरना में उसका लीसोटा हूं ।
अवनि हो इस आसमान की ,तुम धड़कन में उसका "हृदय "हूं ।