पहले मुझे
टेलीफोन , फोन ,
फिर मोबाइल ,
और अब मुझे
स्मार्ट फोन कहेते हो।
में बहोत संवेदनशील हूं।
इंसानों में कहा
संवेदना दिखती है?
में आपकी तरह
बनाना नहीं चाहता!
आपकी एक उंगली
के स्पर्श से और
आपको देखते ही
में जागृत हो
जाता हूं।
आपकी स्पर्श की
संवेदना समजता हूं ,
और आपके सब
कार्य पूरा कर
देता हूं।
क्योंकि में स्मार्ट
इंसान नहीं
स्मार्ट फोन हूं।
आज तो मुझे
ना पसंद करने वाले
भी चाहने लगेंगे
क्योंकी आज
जनता कर्फ्यू है।
अनिल भट्ट