अच्छाई और बुराई दोनो साथ लेकर चलता है इंसान
सिर्फ परखने की शक्ति पर निर्भर करता है की किसे
कया दिखता है सतोगुणी को सब अच्छा ही दिखता
पर तमोगुणी को सब में बुराईयां ही नजर आती है
ये सारा दृष्टि का नहीं दृष्टि कोण का दोष है इस लिए
नजरे नहीं देखने का नजरिया बदल दो सब अच्छा है
Anil Mistr
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