मोहल्ले की रौनक को सदका है मेरा
कहीं रंग हल्का, कहीं रंग गहरा।
भरे आज मौजों से सूने गलीचे
रंगों से सजा है, हर एक चेहरा।
गूंजें गली में वो किलकारियों की
भरे रंग पानी से, पिचकारियों की।
वो तीखा सा नमकीन, मीठी सी गुजिया
है शोहरत गुलों की, या फुलवारियों की।
खुशी से चमकते सितारों से चेहरे
स्वयं ही हटाते, वो खुद पर से पहरे।
हरे नीले पीले गुलाबी सुनहरे
वो रंगीन तालाब, रंगीन नहरें।
उन्मादी स्वरों की वो चंचल शरारत
होली ने लिखी है सदा ये इबारत
राहों में मेरी आज यारों का डेरा
कहीं रंग हल्का कहीं रंग गहरा।