🌹🌹 ग़ज़ल🌹🌹
एक ग़ज़ल मां पर हमारी
🍁 हरा पीपल, घना बरगद सुनो तुलसी है मेरी मां
मेरा आंचल कभी दर्पण बनी बदली है मेरी मां।
🍁 मैं फल हूं मां की मन्नत का जो दुर्गा मां ने बक्शा है
मिटाऊ जुल्म दुनिया से सदा कहती है मेरी मां
🍁 सदा धरती गगन से बेटी पल-पल अपना रिश्ता रख
यही एक बात शिद्दत से सदा कहती है मेरी मां।
🍁 बहोत ढूंढा ,बहोत देखा, बहुत जांचा बहुत, बहुत परखा
नहीं दुनिया में कोई शैय तेरे जैसी है मेरी मां।
🍁 नहीं है पास है लेकिन रूह में मेरी समाई है
मेरे भीतर सभी कहते हैं के दिखती है मेरी मां।
🍁 तेरा सर गोद में रख रख के आ तेरी बालाएं लू
"प्रीत"अंदर तेरी ममता उभर आई है मेरी मां।
डॉ प्रियंका सोनी "प्रीत"