दर्द भी ऐसे दिये जो दिखा नहीं सकती ।
घाव भी ऐसे दिये जो छूपा नहीं सकती ।
आंख मे आंसू है जो बहा नहीं सकती ।
जूठी मुस्कान अब औऱ दिखा नहीं सकती।
दर्द ए दिल का अब लब्जो में बयां नहीं हो सकता ।
टूटे ख्वाबों को अब और समेट नहीं सकती ।
तुम्हे प्यार करने की सज़ा मिली है हमें ये ।
क्या ऐ सज़ा कुछ कम नही हो सकती ?
Dr.Divya