इजहार करना, इकरार करना ये जरूरी है क्या?
ख़ामोश रहकर प्यार करना तुम समझोगे क्या।
कुछ भी कहना नहीं है, कुछ भी सुनना नहीं है,
यूं ही खामोशियों में मुझे याद भला तुम करोगे क्या।
चलो याद भी ना सही, कोई बात नहीं ना सही,
कभी चुपके से मेरे खयालों में आना कर शकोगे क्या!
तुम समझो मुझे, में समझ लूं तुम्हे, ये जरूरी क्यों
प्यार खेल नहीं एक दूसरे को समजने का, समझें क्या।
तुम मुझे खुश करो, में तुम्हे खुश रखु, बड़ी सी पहेली
हम दोनों बगैर किसी कारण के बस यूंही खुश रहेंगे क्या!
थोड़ी सी पगली हूं में, थोड़ा तुम भी पागल बन जाना
प्यार में मेरे साथ साथ पागलपन की हद पार करोगे क्या।