माता समान है तेरा आंचल
रत्नगर्भा हो तट , जहाँ से बहती तेरी धारा l
तेरे साथ सुख-दुख सब हमने बांटा ,
जीवन और अंतिम यात्रा का गोता तुझ में ही लगाया l
तूने भी सब ,हमारे सारे दोष धोकर ,
हमें पातक से मुक्त कराया ।
हम तुछ प्राणी क्या ,देव भी तुझे प्रणाम करते हैं ,
इसलिए तुझे स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए तपस्या करते हैं ।