Hindi Quote in Poem by Deepti Khanna

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उसे छुप छुप के देखा था ,
रोते हुए ,आहे भरते देखा था ।

उम्मीद की किरण लिए वो बैठा था,
सोच विचार में डूबा था ।

मां के आंचल को वो तरसता था ,
कहीं वो मिल जाए , प्रभु से यही अरदास करता था ।

मां का जो सुख से ,कोई विमुख नहीं हो सकता ,
उसका आंचल पकड़ , हर दुख दौड़ता था ।

मैंने उसे छुप छुप के देखा था ,
वो और कहीं नहीं मैंने खुद को देखा था ।।

stressed, depressed but always dressed..

Hindi Poem by Deepti Khanna : 111336926
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