उसे छुप छुप के देखा था ,
रोते हुए ,आहे भरते देखा था ।
उम्मीद की किरण लिए वो बैठा था,
सोच विचार में डूबा था ।
मां के आंचल को वो तरसता था ,
कहीं वो मिल जाए , प्रभु से यही अरदास करता था ।
मां का जो सुख से ,कोई विमुख नहीं हो सकता ,
उसका आंचल पकड़ , हर दुख दौड़ता था ।
मैंने उसे छुप छुप के देखा था ,
वो और कहीं नहीं मैंने खुद को देखा था ।।
stressed, depressed but always dressed..