पलकों के बांध को तोड़ चला
ये बन के घटा घनघोर चला
प्रियतम के आने की खबर में
वह आँखों का प्रांगण छोड़ चला
मीरा की तरह जोगन सा नाचा
फिर प्रेम चुनरी ये ओड़ चला
देने को जो था नहीं कुछ तो
वो बन कर तोफा मोती का अनमोल चला
लब्ज़ बता ना पाये कितना इंतज़ार था तेरा
वो एक आँसू बोल चला ...
lamho_ki_guzarishey
Trisha R S...✍️