लौट चलें
जीवन की इस भागाभागी मे
आ गए हैं इतनी दूर कहीं
क्या छूटा क्या पाया
रखा कोई हिसाब नहीं।
लालच की गगरी भरने को
अपनों से नाता तोड़ गए
क्या छूटा क्या पाया
रखा कोई हिसाब नहीं।
ऐ दिल चल लौट चले
अपनों की दुनिया में फिर से
वो आज भी अपने हैं
हम उनके लिए पराये नहीं।
जीवन की इस भागाभागी मे
आ गए हैं इतनी दूर कहीं
क्या छूटा क्या पाया
रखा कोई हिसाब नहीं।
©satender_tiwari_brokenwords