"विद्या एवं बुद्धि का महा पर्व हैं वसंत पंचमी"
वसंत पंचमी को श्रीपंचमी नाम से भी जानते हैं,इस बार यह 30 जनवरी को मनाई जा रही है,कहा जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी,पूरी सृष्टि मौन थी तो ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की अनुमति लेकर अपने कमंडल के जल से सरस्वती की उत्पत्ति की,इसके बाद सृष्टि को स्वर मिले देवता और मनुष्य सभी मां सरस्वती की पूजा अराधना करने लगे,इसलिए वसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं,इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है,महिलाएं पीले वस्त्र घारण करती हैं,जो कि सद्बुद्धि एवं सौभाग्य का प्रतिक मन जाता हैं.......।
शास्त्रों में मां सरस्वती के 12 नाम बताए गए हैं,कहा जाता है कि इन नामों का नियमित रूप से ध्या न करने वाले मनुष्य की जिह्वा के अग्रभाग में मां सरस्वती का वास हो जाता है,इतना ही नहीं विद्या की देवी मां सरस्वती सदैव उस व्यक्ति की सहायता करती हैं.....!
--:सरस्वती के 12 नाम:--
प्रथम भारती नाम,द्वितीयम च सरस्वती...!
तृतीयम शारदा देवी, चतुर्थम हंसवाहिनी..!
पंचमम् जगतीख्याता,षष्ठम् वागीश्वरी तथा...!
सप्तमम् कुमुदीप्रोक्ता,अष्ठमम् ब्रह्मचारिणी...!
नवम् बुद्धिमाता च,दशमम् वरदायिनी...........!
एकादशम् चंद्रकांति,द्वादशम भुवनेशवरी........!
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेनर..............!
जिह्वाग्रे वसते नित्यमं,ब्रह्मरूपा सरस्वती.............!
सरस्वती महाभागे,विद्येकमललोचने,विद्यारूपा विशालाक्षि,विद्या देहि नमोस्तुते...!
सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने
विद्यारूपा विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषू, मां सरस्वती रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां।
सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।।
- एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ।।
- सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।