दर्द की सरगम बनाकर ग़ज़ल -रमल मुसम्मन महजूफ बहर
दर्द की सरगम बनाकर गुनगुनाना सीख लो ।
तुम बुतों की महफ़िलों में मुस्कुराना सीख लो ।।
चीख करके मत छुपाओ अपने मन की बुज़दिली ।
आजमाएगा जमाना ग़म छुपाना सीख लो ।।
हर घड़ी ऐहसास उनका ख़्वाब बनकर पल रहा ।
दिल में है तड़पन का आलम दिल लगाना सीख लो ।।
अब सम्भालेगा न कोई लड़खड़ाएं गर क़दम ।
छुप गया सूरज अँधेरों को मिटाना सीख लो ।।
तुमको पन्ना क्या बताएं मुन्तज़िर आँखों का ग़म ।
अब अकेली जान पर महफ़िल सजाना सीख लो ।।
-Panna