My Meaningful Poem ...!!!!!
यारों ख़्वाहिशों का तो काम ही है आपको मजबूर करना
पर इन्हें अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जो वक़्त रहते सँभल जाए
और इसे इस क़दर भी न चाहो कि दम आपके निकल जाए
दिखावे की जूठी आन-बान-औ-शान की बलि चड़ जाएँ
एक ब्याह की दहलीज़ पर इस हद तक मजबूर हो जाएँ
बाप बाबुल-हक़ के नाम क़र्ज़दार बनने तक तैयार हो जाएँ
चादरसे पैर बहार जाएँ तो जाएँ पर नामके जूठे ठकोसलें ना जाएँ
चाहे ज़िंदगी-भर फ़िज़ूल ब्याज के पैरों तले बिलावजह रौंदें जाएँ
बाप दुल्हों के भी भिखारी-से दहेज़ के कलंक-मय दानव बन जाएँ
उस पर बारातों के फ़ालतू नाम धन लाखों
फ़ज़ुल-ख़र्च में लुटाएँ
पर इन्सानियत से सादगीं-पसंद रस्म कभी ना अपनाएँ
सुबुद्धि दे प्रभु घोरतम माल-ए--तुज़ार कलियुग के भिखारियों को..!!
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