रोज बहोत से चहेरे देखने को मिलता है
जैसे चहेरो के जंगल से गुजर रही हूं....
कभी कभी कोई चहेरा पढ़ने का अवसर मिल जाता है दिमाग सोचने लगता है...
कोई मासूम सा, कोई उदास, कोई गुस्से वाला, कोई हसता हुआ, कोई शांत....
जैसे चहेरो के जंगल मे एक खोज जो हमें अंदाजा नहीं आने देता कि कोन कैसा है......