जख्म
दिल का ज़ख्म सीने में दबा कर रखते हैं
हम उन्हे अब भी अपना बनकर रखते हैं
हुस्न वाले कब इश्क का ख्याल रखते हैं
यह बात तो हम दिल में दबाकर रखते हैं
सोते हुए भी उनका ख़्याल मन में लिये
उनके सपनो को अपना बनाकर रखते हैं
जिंदगी गुजर जाएगी हमारी तो यूहीं,
उनकी याद दिल में बनाकर रखते हैं
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित