क्रांतिकारी की कविता
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नाम था जिनका,
वासुदेव बलवंत फड़के,
जिनसे के नाम से,
अंग्रेज भी थे भड़के,
स्वतंत्रता संग्राम के,
पहले क्रांतिकारी कहलाये,
4 नवंबर 1845 के दिन,
इस धरती पर आये,
अंग्रेजो के खिलाफ प्रथम,
सशस्त्र विरोध अभियान चलाये
आजादी पानेके उन्होंने,
पुनः सपने दिखाये
इसीलिए तो फड़के,
पहले क्रांतिकारी कहलाये,
लोकमान्य और फूले से मिले
जंगल में अभ्यास स्थल बनाये,
लोगों को हत्यार चलाने के
जंगल में अभ्यास कराये,
आजादी पाने के,
नितदिन अभियान बनाये,
इसीलिए तो फड़के,
पहले क्रांतिकारी कहलाये,
महाराष्ट्र के सात जिलों में,
ऐसे प्रभाव फैलाये,
जिसे देख अंग्रेजों के,
दिल थर-थर घबराये,
फड़के की गिरफ्त पर,
इनाम देने की घोषण कराये,
इसीलिए तो फड़के,
पहले क्रांतिकारी कहलाये,
बीमारी के कारण ही,
वह अंग्रेजों के हाथ आये,
काला पानी की सजा पाकर भी,
वह कभी नहीं घबराये,
ऐसे वीर सपूत को,
हम क्यों ना शीश नमाये
इसीलिए तो फडके,
पहले क्रांतिकारी कहलाये
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित