फूलों की नजाकत में जिया हूं,
शहद का पैगाम लिए जिया हूं
ओ रहमत ए दिल फरिश्ता
ईमान और शोहरत से जिया हूं
लाज़मी है जख्मों का कहर भी,
मैं दर्द बनकर, बेखबर जिया हूं
मरहम ही अंदाज है मेरा होना ,
मै मुस्कुराते हुए जिंदगी जिया हूं
आनंद की अनुभूति है फूलों जैसी,
मैं शहद जुबां पे, रख कर जिया हुं