में आज़ाद उड रही हूं निल गगन में... पर ये डर क्यू मेरे साथ ही रहता है ? में आज़ाद तो हो गई पर ये बुरी नजर जो मंडराती है मेरे आसपास..... उसकी नजर को कैसे साफ करू ? इतना तेय है.... आसपास मंडराता कोई आए तो इतनी ताकत बनाउंगी की "स्त्री शक्ति" क्या है, "स्त्री दक्षिन्य" क्या है पता चले उसे....