!! ख़ैर मना ले!!
औरों के जुर्म का बहीखाता लिखनेवाले,
जब आये तेरी बारी 1 पर्ची ही लिख ले!
मेरी छोटी ग़लतियों को जुर्म बतलानेवाले, अपने गुनाहों की सरज़मीं हिलाकर देख ले!
रोटी मुफ़्त की हो तोड़ती तुम, ये कहनेवाले! ब्रेड ईमान की कमाना तू भी ज़रा सीख ले!! गठरी दबाय ह्मरी,
ऐश से दुनियां घूमनेवाले, आशियाँ सलामत मेरा, तू तेरी खैर मना ले!
गर्दिश में हों भले ही आज मेरे सितारे ऊपरवाले!! ज़न्नत तुझसे ही, ख़त्म तुझ में ही कर ले!!
~तरङ्ग~