आंखों में काजल
होंठों पे लाली
कानों में झुमके
पेरो में पायल
हाथों में चुड़ी
वो खुले हुए से बाल मेरे
टीप टोप से कपड़े पहने
एयने में घुरते हुए मेने उनसे पूछा
' केसी लग रही हुं मैं?'
"ठीक ठाक!"
सुनी आंखें, बेरंगी होठ, सुने हाथ ,सुने पेर, सुने कान
वो बीखरे हुए से बाल मेरे,
कपड़ों का न था ठीकाना
जब मेने उनकी आंखों में देखा तो
"तुम्से ज्यादा खुबसूरत इस जहां में
कोई नहीं"
Dip@li