ये शोखियां,
ये अल्हड़पन,
पार हुआ सोलहवा बसंत
बिता मेरा बचपन
प्रेम भरा जोबन-यौवन
पुलकित अंग-अंग, मन आतुर
नाचे मन_कमर , पग संग
प्रेम मगन हैं,प्रेम लगन है
प्रेम जगत की धूरी
प्रेम बिना मैं हुई अधूरी
बंद आंखे, देखे मूरत तेरी
छुपा छुपा सा तेरा आगमन
कहां छुपे हो मेरे हमसफर
स्वागत है,बाहेँ फैला कर
प्यार तुम्हारा पाने को
वर्षों-वर्षों जन्मों तरसी
अब तो सावन बरसो बरसो
प्यासी है मेरी धरती