समुंदर को उल्टा कर धूप
को घेरा अंधेरा दिखा दे..
चलो रेत पर किसी
भूख के लिए
एक रोटी सेक ले ..
पेट की आग बहुत है
आओ कुछ पानी के बूँदो
से थोड़ा ठंडा कर ले
भीग गयी है दुनिया
खुद के ही गीले आँचल से
आँसू को थोड़ा थोड़ा से
मीठा कर ले....
पर ये तो सब ख़याल है
ख़यालो से यूं नहीं बहकते
समझदारी इसी में है की
जनाब इश्क़ की बाते
नहीं करते ||
"मुनाफ़े का पूरा हिसाब करो
बेवजह खुद को जलाया नहीं करते"